महाराष्ट्र के सरकारी दफ्तरों में अब से सिर्फ मराठी में ही बात होगी ना मानने पर होगी कारवाई
महाराष्ट्र राज्य सरकार ने मराठी भाषा को लेकर नए कठोर कदम उठाए हैं जिसमें महाराष्ट्र राज्य सरकारने अपने सभी सरकारी कार्यालयों में और अर्ध सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले सभी अधिकारियोंको मराठी भाषा में बात / संवाद करना अनिवार्य कर दिया है।
खबरों की माने तो महाराष्ट्र सरकारने मराठी भाषा के संरक्षण के लिए और उसमे वृद्धि होने के लिए उसका संवर्धन और प्रसार होने के लिए महाराष्ट्र सरकारने इस तरह के कदम उठाए हैं।
मराठी भाषा के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार प्रचार के लिए सभी विभागों को धन भी आवंटित किया जाएगा। अब से सभी सरकारी दफ्तरों में सिर्फ और सिर्फ मराठी में ही बात होगी ऐसा कहा जा रहा हे महाराष्ट्र राज्य सरकार की तरफ से.
मुंबई मराठी भाषा अनिवार्य :
महाराष्ट्र राज्य सरकारने कहा कि अब से सभी सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों में दफ्तरों में केवल और केवल मराठी में ही बात होगी। महाराष्ट्र राज्य सरकार ने इसके लिए एक प्रस्ताव GR जारी किया है जिसके अनुसार सभी सरकारी दफ्तरोंमें , स्वशासन और सरकारी सहायता प्राप्त सभी ठिकानों में अब से मराठी बोलना बंधन कारक हैं और जो इस का पालन नहीं करेगा उन्हें GR के तहत चेतावनी दी गई हैं कि जो भी अधिकारी इन नियमों का पालन नहीं करेगा उसके ऊपर कठोर कारवाई की जाएगी।
पिछले साल 2024 में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा मिला था, उसमें मराठी भाषा नीती में मराठी भाषा के संरक्षण, विकास, मराठी भाषा के प्रसार और संवर्धन को लेकर उठाए गए कदमों को उनके कामों को आगे बढ़ाने को कहा गया था। उसके लिए सभी मामलों में राज्य में हर एक ठिकान पर मराठी भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई थी।
महाराष्ट्र राज्य सरकार के जीआर में यह बात भी कही गई है कि सभी सरकारी कार्यालयों में लगने वाले सुचना पट्ट मराठी में लगेंगे।
साथ ही में कंप्यूट के कीबोर्ड पर रोमन वर्णमाला के साथ साथ देवनागरी वर्णमाला भी होनी चाहिए। सरकारी कार्यालयों में जितने भी कीबोर्ड खरीदे जाते हैं उनके ऊपर रोमन वर्णमाला के साथ साथ देवनागरी लिपि भी होनी चाहिए।
महाराष्ट्र विधानसभा में की जाएगी शिकायत
राज्य नियोजन विभाग से सोमवार को इस संबंध में सरकारी संकल्प जारी किया गया था जो कि मिलिंद कुलकर्णी ने किया था जो कि राज्य नियोजन विभाग के उप सचिव हैं। जो भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी मराठी भाषा में संवाद नहीं करेगा उनके ऊपर मराठी भाषा के सरकारी संकल्प के अनुसार संबंधित विभाग प्रमुख या कार्यालय प्रमुख को आप शिकायत कर सकते हैं। उसके बाद उस मामले की संबंधित कार्यालय प्रमुख या विभाग प्रमुख पुष्टि करेंगे और अगर संबंधित अधिकारी/ कर्मचारी दोषी पाया जाता हे तो उसके उपर अनुशासनात्मक करवाई की जाएगी। उसी के साथ शिकायतकरता को कार्यालय प्रमुख की तरफ से सूचित किया जाएगा। अगर कारवाई दोषपूर्ण या असंतोष जनक पाई गई तो मराठी भाषा समिति में अपील की जा सकती हैं।